Sunday, September 8, 2024

Somwati Amavasya 2024 : अप्रैल में किस दिन पड़ रही है सोमवती अमावस्या, जानिए स्नान-दान का मुहूर्त

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Khabarwala 24 News New Delhi : Somwati Amavasya 2024 इस वर्ष चैत्र अमावस्या बहुत खास है क्योंकि यह दिन सोमवार के दिन पड़ रहा है और सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग है। हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या को बहुत खास माना जाता है। सोमवार और शनिवार की अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पितरों के साथ शिव पूजन के लिए चैत्र अमावस्या का दिन बेहद खास होता है। आइए जानते हैं साल 2024 की पहली सोमवती अमावस्या कब है, इस दिन पूजा और स्नान का शुभ समय क्या है। इस साल की पहली सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल 2024, सोमवार को है। यह चैत्र मास की अमावस्या होगी और चूंकि यह सोमनार को पड़ती है, इसलिए इस अमावस्या पर शिव पूजा विशेष मानी जाती है। ऐसे में इस दिन भक्त को दोगुना फल मिल सकता है।

सोमवती अमावस्या समय (Somwati Amavasya 2024)

इस वर्ष चैत्र अमावस्या तिथि यानी सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल 2024, सोमवार को सुबह 3.21 बजे शुरू होगी। इस दिन रात 11 बजकर 50 मिनट पर सोमवती अमावस्या तिथि समाप्त होगी.

स्नान और दान का मुहूर्त (Somwati Amavasya 2024)

सुबह 4:32 बजे से 05:18 बजे तक. शिव पूजा का समय – सुबह 9:13 बजे से 10:48 बजे तक। पितरों को तर्पण करने का समय- सुबह 11:58 बजे से 12:48 बजे तक।

अमावस्या पर कैसे करें पूजा (Somwati Amavasya 2024)

सोमवती अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी या घर पर ही गंगा जल से स्नान करें। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें. फिर व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध चढ़ाएं और 7 बार परिक्रमा करें। दोपहर के समय जल में तिल डुबाकर पितरों के नाम से दक्षिण दिशा में अर्पित करें। शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। कहा जाता है कि इससे भोलेनाथ, देवी लक्ष्मी और शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

सोमवती अमावस्या का महत्व (Somwati Amavasya 2024)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो महिलाएं इस सोमवती अमावस्या पर व्रत रखती हैं और भगवान शिव की पूजा करती हैं, उनके पति को लंबी उम्र मिलती है। अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए इस दिन आटा, घी, चावल और चीनी का दान करें। सोमवती अमावस्या का व्रत करने से भक्त को अखंड सौभाग्य, सुख, सफलता, समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन स्नान-दान के बाद कच्चे दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इससे पितृ दोष और कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है और पितरों की आत्मा को मोक्ष भी मिलता है।

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