Khabarwala 24 News New Delhi : spreading culture of Konkan अपनी खान-पान की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र के शिरीष और पूजा शहर का जीवन छोड़कर कोंकण में अपने गाँव तुमदार आ बसे और अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया! कोरोना के समय में जब एक दरवाज़ा बंद हुआ तो कई लोगों ने नए रास्ते अपनाकर सफलता की नई कहानियां लिख डालीं। ऐसी ही दास्तान है महाराष्ट्र के रहने वाले दंपति शिरीष और पूजा गावस की; जो अच्छी-खासी नौकरी और शहरी जीवन छोड़कर गाँव आ बसे और अपने यूट्यूब चैनल के ज़रिए लाखों लोगों से जुड़ने का काम किया।
मिट्टी के लिए कर रहे शिक्षा का इस्तेमाल (Spreading Culture of Konkan)
FTII, पुणे से ग्रेजुएट पूजा और MBA कर बढ़िया कॉर्पोरेट जॉब कर रहे शिरीष सालों से शहर में एक सेटल्ड लाइफ जी रहे थे। लेकिन कोरोना के दौरान अचानक दोनों की नौकरी चली गई। हिम्मत और उम्मीद खो देने के बजाय इस कपल ने एक नई शुरुआत करने का फैसला किया। इस तरह हमेशा से अपनी संस्कृति के करीब रहे पूजा और शिरीष कोंकण में अपने गाँव आ गए। यहाँ उन्होंने पारंपरिक जीवनशैली अपनाकर एक स्लो और सस्टेनेबल जीवन का रूख किया।
कोंकणी संस्कृति से जुड़ रहे लाखों लोग (Spreading Culture of Konkan)
गाँव के लोगों और उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से उन्होंने सीख लेकर खुद तो इसे अपनाया ही; साथ ही और लोगों को भी कोंकणी लाइफस्टाइल दर्शाने और इससे जोड़ने के लिए Red Soil Stories नाम से एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की। पूजा बताती हैं, पहले लॉकडाउन में Liziqi नाम के एक चाइनीज़ ब्लॉगर के हमने बहुत सारे एपिसोड्स देखे और उससे हम बहुत प्रेरित हुए। हमें लगा कि यही काम या इससे और अच्छा काम हम अपने गाँव में जाकर भी कर सकते हैं।
शहर में पले-पढ़े पूजा और शिरीष (Spreading Culture of Konkan)
इसलिए जब उन्हें मौक़ा मिला तो उन्होंने अपनी मिट्टी और गाँव में रहकर ही कुछ करने का सोचा। उन्होंने यूट्यूब पर वीडियोज़ डालना शुरू किया और केवल दस महीनों में ही उनके चैनल पर एक लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स हो गए। आज यह दंपती अपने चैनल के ज़रिए पारंपरिक व स्वादिष्ट कोंकणी व्यंजन और यहाँ की जीवनशैली से लोगों को परिचित करा रहा है।
आज गांव में जी रहे सस्टेनेबल जीवन (Spreading Culture of Konkan)
पूजा और शिरीष कहते हैं रेड साइल स्टोरीज़ हमारे लिए सिर्फ़ एक यूट्यूब चैनल नहीं है, यह हमारे बच्चे की तरह है जिसे हमने पाल-पोस के बड़ा किया है। उनके चैनल को आज 40 से ज़्यादा देशों में देखा जाता और खूब पसंद किया जा रहा है। शहर की लाइफस्टाइल व जॉब को छोड़कर ग्रामीण परिवेश में ढलना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन अपनी शिक्षा का इस्तेमाल मिट्टी के लिए करने की उनकी चाह इतनी बड़ी थी कि वही उनकी प्रेरणा बनी।