Khabarwala 24 News New Delhi : Sumi Das किन्नर होने की वजह से सुमी को 14 साल की छोटी उम्र में घर छोड़ना पड़ा, पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उनकी जिंदगी स्टेशन पर संघर्ष और शोषण का सामना करते हुए बीती, लेकिन आज वही सुमी अपनी जिंदगी के गहरे अंधेरों से लड़कर गरीब बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी ला रही हैं। आज सुमी और दूसरे ट्रांसजेंडर मिलकर इस गुरुकुल में 29 गरीब बच्चों को शिक्षा के साथ फ्री भोजन, खेल-कूद और संगीत सिखाने का काम कर रहे हैं। सुमी का साथ देकर आप भी गरीब बच्चों की शिक्षा और ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज के और करीब लाने में मदद कर सकते हैं।
बदलाव सिर्फ शिक्षा के दम पर ही आ सकता है (Sumi Das)
सालों पहले जब सुमी दास ने जरूरतमंद बच्चों के लिए स्कूल खोला तो लोगों ने कहा, यह तो हिजड़ों का स्कूल है यहां क्या पढ़ाई होगी? लेकिन लोगों की ऐसी बातें सुनने के बाद सुमी दास पीछे नहीं हटीं। क्योंकि वह जानती थीं, बदलाव सिर्फ शिक्षा के दम पर ही आ सकता है। जैसा कि उनके जीवन में हुआ था।
संस्था की मदद से उन्हें पढ़ने का मौका मिला है (Sumi Das)
14 साल की उम्र में सुमी को घर छोड़ना पड़ा था क्योंकि वह एक किन्नर थीं। घर से निकलने के बाद कोलकाता का न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन उनका घर बन गया था। उन्होंने सेक्स वर्कर का काम भी किया। लेकिन ट्रांसजेंडर की मददगार संस्था की मदद से उन्हें पढ़ने का मौका मिला और यहीं से आया उनके जीवन में बदलाव।
समाज में बदलाव में स्कूल ‘मैत्री संजोग गुरुकुल’ (Sumi Das)
जिसके बाद सुमी ने ट्रांसजेंडर के लिए दूसरे रोजगार के अवसर खोजना शुरूकिया और ‘‘मैत्री संजोग’ नाम से सोसाइटी भी बनाई। लेकिन जल्द ही वह समझ गईं कि समाज में बदलाव लाने के लिए गरीब बच्चों को शिक्षित करना जरूरी है। इसी मकसद से शुरू हुआ उनका स्कूल ‘मैत्री संजोग गुरुकुल’।
सामान्य नज़रो से देखेंगे ट्रांसजेंडर समुदाय को (Sumi Das)
उनका उद्देश्य है कि ये बच्चे बड़े होकर अच्छे कॉलेज में पढ़ें बड़े अधिकारी बनें और गर्व से कहें कि उन लोगों ने ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के हाथों से खाना खाया या उनके साथ ही वह बड़े हुए हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज में एक सामान्य नज़रो से देखा जाएगा उनके आस-पास होने से लोगों को अजीब भी नहीं लगेगा।