Khabarwala 24 News New Delhi: sunday holiday नौकरीपेशा लोगों को पूरे सप्ताह में रविवार के दिन का इंतजार होता है। क्योंकि इस दिन आमतौर पर अधिकांश लोगों की छुट्टी होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पूरे सप्ताह में रविवार के दिन ही वीक ऑफ या छुट्टी क्यों होती है ? चलिए जानते हैं आखिर इसके पीछे क्या कहानी है।
रविवार वीक ऑफ (sunday holiday )
जानकारी के अनुसार भारत में अंग्रेज राज में पहले श्रमिकों से हर रोज काम कराया जाता था, कोई साप्ताहिक छुट्टी का दिन नहीं होता था। एक दिन की छुट्टी के लिए आंदोलन भी हुआ था। जानकारी के अनुसार वैसे संडे यानी रविवार की छुट्टी का क्रेडिट रोमन अंपायर को देना चाहिए, जहां से ये यूरोप में फैला और फिर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में रविवार छुट्टी का दिन घोषित हुआ था।
सूर्य की पूजा (sunday holiday )
बता दें कि सभी प्राचीन सभ्यताओं में संडे के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। क्योंकि लोग निश्चित दिन पर भगवान की पूजा करते थे, इसलिए इस दिन को च्रविवारज् यानि सूर्य का दिन घोषित किया गया था। वहीं जब चर्च बने तो लोगों ने इस दिन वहां प्रार्थना के लिए जाना शुरू किया था। इसलिए लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सर्वसम्मति से च्रविवारज् को छुट्टी घोषित करने का निर्णय लिया गया था।
इस दिन चर्च जाकर प्रार्थना करने लगे (sunday holiday )
321 ई. में सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने रविवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था। उन्होंने यह आदेश दिया था कि सात दिन के आधिकारिक रोमन सप्ताह में रविवार को सार्वजनिक अवकाश का दिन बना देना चाहिए। उन्होंने इसके लिए उन्होंने पहला नागरिक कानून पेश किया था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि किसान काम कर सकते हैं। जानकारी के अनुसार इसके बाद ये अवधारणा यूरोप में फैली थी। जब यूरोप और अमेरिका की बहुसंख्य आबादी क्रिश्चियन होती चली गई तो वो इस दिन चर्च जाकर वहां प्रार्थना करने लगे थे।
संडे कैसे बना भारत में वीक ऑफ डे
भारत में रविवार के दिन छुट्टी घोषित होने के पीछे महाराष्ट्र के श्रमिक नेता नारायण मेघाजी लोखंडे को श्रेय दिया जाता है। जानकारी के अनुसार अंग्रेजों के आने के बाद भारत में श्रमिकों को सप्ताह के सभी सात दिनों तक काम करना होता था। उनके लिए कोई छुट्टी का दिन नहीं था। जबकि ब्रिटिश हुक्मरान और उनका स्टाफ संडे को छुट्टी मनाता था।
लेकिन जब भारत में ट्रेड यूनियन जैसी संस्थाओं की शुरुआत होने लगी थी, उन्होंने अंग्रेजों के सामने मजदूरों को एक दिन की छु्ट्टी देने की आवाज उठाई थी। इसके बाद इसे लेकर 7 सालों तक आंदोलन चलाया गया था। आखिरकार 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने मजदूरों और अन्य लोगों के लिए रविवार का अवकाश घोषित किया था।