Khabarwala 24 News New Delhi : Supreme Court Big Decision सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नागरिकता से संबंधित प्रावधानों पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बताया कि जब कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो सिटीजनशिप एक्ट की धारा 9 के तहत उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है। ऐसे में उसकी नागरीकता की समाप्ति को स्वैच्छिक नहीं माना जा सकता है।
धारा 8(2) पर टिप्पणी (Supreme Court Big Decision)
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन व्यक्तियों के बच्चे सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के तहत फिर से भारत की नागरिकता की मांग कर सकते हैं। सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के अनुसार अपनी ईच्छा से भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों के बच्चे बड़े होकर एक साल के अंदर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि विदेशी नागरिकता प्राप्त करने वाले लोगों के बच्चों के लिए यह विकल्प उपलब्ध नहीं है।
साफ किया फैसला (Supreme Court Big Decision)
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते समय यह भी साफ किया कि संविधान लागू होने के बाद भारत के बाहर पैदा हुआ व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 8 के तहत इस आधार पर नागरिकता की मांग नहीं कर सकता है कि उनके पूर्वज (दादा-दादी) अविभाजित भारत में पैदा हुए थे। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
क्या है पूरा मामला (Supreme Court Big Decision)
मद्रास हाई कोर्ट ने सिंगापुर के एक नागरिक को सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के तहत भारत की नगरिकता दे देने की अनुमति दी थी। दरअसल उसके माता-पिता सिंगापुर की नागरिकता प्राप्त करने से पहले मूल रूप से भारतीय नागरिक थे, इसलिए याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 8 के तहत भारतीय नगरिकता का दावा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता नागरिकता अधिनियम की धारा 8(2) के तहत भारतीय नागरिकता फिर से प्राप्त करने का हकदार नहीं था। कोर्ट ने अनुसार याचिकाकर्ता को संविधान की धारा 5(1)(बी) या अनुच्छेद 8 के तहत नागरिकता के लिए पात्र था।