Khabarwala24News Surya Grahan:आज यानि 20 अप्रैल को सूरज तीन प्रकार के ग्रहण से गुजरेगा। यानी तीन तरह का सूर्य ग्रहण हो रहा है। आंशिक , पूर्ण और कुंडलाकार । वैज्ञानिक तीनों घटनाओं को मिलाकर इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse)बुलाते हैं। ऐसा 100 सालो में कभी-कभी ही होता है। कभी-कभी इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसकी गणना करना बेहद कठिन होता है।
तीन प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण Surya Grahan
पहला- आंशिक सूर्य ग्रहण… ये सबसे ज्यादा दिखाई देता है। जब चंद्रमा सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर रोशनी रोकता है, तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है।
दूसरा है कुंडलाकार … जब चंद्रमा सूर्य के बीचो-बीच आकर रोशनी रोकता है। चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला बनता है। इसे रिंग ऑफ फायर कहते हैं।
तीसरा है पूर्ण … जब चंद्रमा सूरज को पूरी तरह ढंक लेता है। सिर्फ सूरज के कोरोना की रोशनी ही दिखती है। इसे आप खुली आंखों से बिना किसी यंत्र के भी देख सकते हैं।
अब आपको बताते हैं कि चौथे प्रकार के सूर्य ग्रहण के बारे में… ये है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण. ऊपर बताए गए तीनों सूर्य ग्रहण जब आपस में मिलते हैं, तब यह दुर्लभ नजारा देखने को मिलता हैय़ सबसे ज्यादा खूबसूरत और कम होने वाला ग्रहण।
हाइब्रिड Surya Grahan सूर्य ग्रहण क्या होता है?
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण असल में कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है। हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में पहले पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखता है, फिर कुंडलाकार। बाद में ये स्थिति बदल जाती है. इसी वजह से पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर रह रहे लोग एक ही वक्त में अलग-अलग तरह के सूर्य ग्रहण देखते हैं। अगर आप सूर्योदय या सूर्यास्त के समय हाइब्रिड सूर्य ग्रहण देखेंगे तो आपको हल्का रिंग ऑफ फायर देखने को मिलेगा। दोपहर में देखने की कोशिश करेंगे तो आपको कोई एक चीज ही देखने को मिलेगी। चाहे कुंडलाकार सूर्य ग्रहण या फिर पूर्ण सूर्य ग्रहय़ पूर्ण और कुंडलाकार आपको एकसाथ देखने को नहीं मिलेंगे। इसका मतलब है कि आप हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कभी नहीं देख सकते।
हाइब्रिड Surya Grahan सूर्य ग्रहण क्यों होता है ?
आएये आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। लेकिन हमेशा धरती से बराबर दूरी पर नहीं होता। कभी दूर। कभी नजदीक। जब वह सूर्य और धरती के बीच आता है। पृथ्वी के इतना पास हो कि उसकी छाया से पृथ्वी का एक हिस्सा ढंक जाए तब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता हैं। जब वह सूर्य और धरती के मध्य में आता है, लेकिन उसकी दूरी पृथ्वी से ज्यादा होती है, तब उसकी छाया छोटी होती है. ऐसे में कुंडलाकार सूर्य ग्रहण होता है।
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा की धरती से दूरी न ज्यादा होती है न कम। वह पृथ्वी से इतना दूर होता हैं जिससे उसकी छाया पृथ्वी के छोटे हिस्से पर खत्म होती है। ऐसे में छोटे छाया वाले हिस्से में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखता है। दूसरी तरफ जहां छाया फैलती है, वहां कुंडलाकार सूर्य ग्रहण। यानी किनारों से सूर्य दिखता है। तब हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होता है।
अगली बार कब होगा हाइब्रिड Surya Grahan सूर्य ग्रहण
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण धरती के दक्षिणी गोलार्ध में दिखाई देगा। कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण के प्वाइंट्स सुदूर समुद्र में हैं। इसलिए सबको यह दिखेगा नहीं। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक्समाउथ प्रायद्वीप पर एक मिनट दिखेगा। तिमोर लेस्टे में 1 मिनट 14 सेकेंड और वेस्ट पापुआ में 1 मिनट 9 सेकेंड.य़वह भी पूर्ण सूर्य ग्रहण के ठीक पहले और उसके ठीक बाद, जब बेलीज़ बीड्स बनते हैंय़ बेलीज़ बीड्स अंग्रेज खगोलविद फ्रांसिस बेली के नाम पर रखा है. इन्होंने सबसे पहले 1800 में देखा था.
कब-कब होता है हाइब्रिड Surya Grahan सूर्य ग्रहण
हर साल दो से पांच सूर्य ग्रहण होते हैंय़ 21वीं सदी में सिर्फ 3.1 प्रतिशत Surya Grahan सूर्य ग्रहण ही हाइब्रिड थे। यानी 224 में 7 सूर्य ग्रहण ही हाइब्रिड थे। इससे पहले 3 नवंबर 2013 को हाइब्रिड सूर्य ग्रहण हुआ था। इसे अफ्रीकाई देशों के लोगों ने देखा था।
शास्त्रों में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए ग्रहण के पहले सूतक लगने पर सभी तरह शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है।
ग्रहण के दौरान देवी-देवताओं की पूजा करना वर्जित होता है। यहां तक की भगवान की मूर्ति को भी छूना वर्जित माना गया है।
ग्रहण के पहले और ग्रहण के दौरान सभी मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
ग्रहण की समाप्ति के बाद घर और पूजा स्थल को गंगाजल का छिड़काव करके शुद्ध किया जाता है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण देखना चाहिए।
ग्रहण के दौरान तो पूजा-पाठ करना वर्जित होता है लेकिन ग्रहण के दौरान मंत्रों के जाप करके ग्रहण के प्रभाव को कम किया जाता है।
ग्रहण लगने पर खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाला जाता है। माना जाता है ग्रहण के दौरान दूषित किरणें और नकारात्मक ऊर्जा चारों तरफ फैली हुई होती है। इसी वजह से खाने-पीने की चीजों में हानिकारक बैक्टीरियां जल्दी से फैलता है। तुलसी में कई तरह के औषधि गुण मौजूद होते हैं,इसलिए ग्रहण लगने पर खाने-पीने के चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दिए जाते हैं।
ग्रहण के खत्म होने पर स्नान किया जाता है और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव किया जाता है।
आज कहां-कहां दिखाई देगा यह हाइब्रिड Surya Grahan सूर्य ग्रहण ?
वर्ष 2023 का यह पहला Surya Grahan सूर्य ग्रहण देश में तो नहीं देखा जा सकेगा लेकिन विदेशों में अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग तरह से दिखाई देने लगेगा। खास बात यह है कि यह एक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होगा जिसे काफी दूर्लभ सूर्य ग्रहण माना जाता है। इस तरह का सूर्य ग्रहण बहुत ही कम देखने को मिलता है। दरअसल आज के दिन कुछ जगहों पर यह सूर्य ग्रहण आंशिक, कुछ जगहों पर पूर्ण सूर्य ग्रहण और कुछ स्थानों पर कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। एक साथ तीन तरह के सूर्य ग्रहण दिखाई देने के कारण इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
हाइब्रिड Surya Grahan सूर्य ग्रहण इन-इन स्थानों पर दिखाई देगा-
कंबोडिया, चीन, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, मलेशिया, फिजी, जापान, समोआ, सोलोमन, बरूनी, सिंगापुर, थाईलैंड, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, ताइवान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण हिंद महासागर, दक्षिण पेसिफिक सागर, तिमोर और न्यूजीलैंड ।