Khabarwala 24 News New Delhi: T-20 matches भारत में किक्रेट की दीवानगी किसी से भी छिपी नहीं है। भारत में लोग किक्रेट मैच देखना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट मैच में किस-किस रंग के बॉल का इस्तेमाल किया जाता है और इसका कारण क्या है। चलिए आज हम आपको क्रिकेट मैच और अलग-अलग रंगों के बॉल के पीछे का कारण बताएंगे।
क्रिकेट (T-20 matches)
दुनियाभर के अधिकांश देशों में क्रिकेट मैच खेला जाता है। भारत में किक्रेट खेल को लेकर दीवानगी सबसे ज्यादा है। भारत की क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई सबसे महंगा और धनी क्रिकेट बोर्ड है। लेकिन क्या आपने ध्यान दिया है कि क्रिकेट मैच में अलग-अलग रंगों के बॉल का इस्तेमाल किया है। वहीं वनडे और टी-20 मैच में सिर्फ सफेद बॉल का इस्तेमाल किया जाता है।
क्रिकेट बॉल (T-20 matches)
क्रिकेट बॉल की बनावट काफी ठोस होती है और इसे चमड़े और कॉर्क की मदद से बनाया जाता है। वर्तमान में क्रिकेट के सभी प्रारुपों में तीन रंग की गेंदों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें गुलाबी, लाल और सफेद रंग के बॉल शामिल हैं। आपको बता दें कि क्रिकेट की गेंदों का वजन 155.9 ग्राम और 163 ग्राम के बीच होता है और इसकी परिधि 22.4 और 22.9 सेंटीमीटर के बीच होती है। हालांकि महिला क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली बॉल इससे थोड़ी छोटी होती है।
लाल रंग की बाॅल (T-20 matches)
बता दें कि पहले के समय से ही क्रिकेट में लाल रंग की गेंद इस्तेमाल की जाती है। टेस्ट क्रिकेट, घरेलू क्रिकेट और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में लाल रंग की गेंद इस्तेमाल की जाती है, इन लाल रंग की गेंद पर सफेद रंग के धागे से सिलाई की जाती है।
सफेद रंग की बाॅल (T-20 matches)
28 नवंबर 1978 तक क्रिकेट में लाल रंग की गेंद का ही इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच एक विश्व सीरीज़ के एक दिवसीय मैच को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में फ्लडलाइट्स में खेला जाना था, जहां सफेद रंग की गेंद को चुना गया था। सफेद रंग की गेंद का इस्तेमाल वन डे और टी-20 क्रिकेट में किया जाता है, जिससे खिलाड़ियों को फ्लड लाइट में खेले जाने वाले मैच में गेंद आसानी से दिखाई देती है। अभी सफेद गेंद को हर एक दिवसीय फॉर्मेट में इस्तेमाल किया जाता है, इन सफेद रंग की गेंद पर गहरे हरे रंग के धागे से सिलाई की जाती है।
गुलाबी रंग की बाॅल (T-20 matches)
क्रिकेट में गुलाबी रंग की गेंद का इस्तेमाल सिर्फ डे-नाइट टेस्ट मैच में किया जाता है, जिससे रात में भी खिलाड़ियों को गेंद आसानी से दिखाई दे सके। आपको बता दें कि जुलाई 2009 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैण्ड की महिला टीम के बीच वनडे मैच में गुलाबी रंग की गेंद का इस्तेमाल किया गया था। गुलाबी रंग की गेंद पर काले रंग के धागे से सिलाई की जाती है।