Khabarwala 24 News New Delhi : Til Chauth Ki Katha माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को धर्म ग्रंथों के अनुसार तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी और सकटा तिल चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। व्रत में श्रीगणेशजी और चंद्रमा की पूजा का विधान है। इस बार ये व्रत 29 जनवरी, सोमवार को किया जाएगा। इस व्रत में कथा जरूर सुननी चाहिए। आगे जानिए तिल चतुर्थी व्रत की कथा…
ये है तिल चतुर्थी की कथा | Til Chaturthi ki katha
बड़ा भाई अमीर था और छोटा गरीब (Til Chauth Ki Katha)
प्राचीन समय में किसी शहर में दो भाई रहते थे। बड़ा भाई अमीर था और छोटा गरीब। छोटे भाई की पत्नी भगवान श्रीगणेश की भक्त थी। देवरानी अपनी जेठानी के घर का काम करती थी, जिससे बदले में उसे पुराने कपड़े, खाना आदि मिल जाता था। एक बार जब तिल चतुर्थी का व्रत आया तो देवरानी ने तिल और गुड मिलाकर तिलकुट्टा बनाया और इसे छीकें पर रख दिया।
सुबह की बासी रोटी देकर भेज दिया (Til Chauth Ki Katha)
इसके बाद देवरानी अपनी जेठानी के घर काम करने चली गई। उसे लगा कि आज उसे वहां से पकवान मिलेंगे, लेकिन जेठानी ने उसे सुबह की बासी रोटी देकर भेज दिया। ये देखकर उसके बच्चे रोने लगे और पति भी आगबबूला हो गया। देवरानी गणेशजी को याद करके पानी पीकर सो गई। रात में श्रीगणेश देवरानी के सपने में आए और बोले- ‘मुझे भूख लगी है, कुछ खाने को दो।’
पूजा का बचा हुआ तिल कुट्टा दिया (Til Chauth Ki Katha)
देवरानी ने कहा ‘मेरे घर में खाने को कुछ भी नहीं है, आपको क्या दूं? पूजा का बचा हुआ तिल कुट्टा छींके में पड़ा हैं वही खा लीजिए।’ तिलकुट्टा खाने के बाद गणेशजी ने देवरानी के सिर पर हाथ फेरा और चले गए। अगली सुबह वो उठी तो देखा कि उसका पूरा घर हीरे-मोती से जगमगा रहा है। उस दिन देवरानी अपनी जेठानी के घर काम पर नहीं गई।
हीरे-मोतियों से जगमगा रहा था घर (Til Chauth Ki Katha)
तब खुद जेठानी उसके घर आई तो देखा तो उसका घर तो हीरे-मोतियों से जगमगा रहा है। पूछने पर देवरानी ने जेठानी को पूरी बात बता दी। जेठानी के मन में भी लालच आ गया और उसने चूरमा बनाकर छीकें पर रखा और सो गई। रात को उसके सपने में भी श्रीगणेश आए और खाने को मांगा। उसने कहा ‘छीकें पर चूरमा रखा है वो खा लीजिए। श्रीगणेश ने ऐसा ही किया।
देवरानी से ईर्ष्या मत करो, ठीक होगा (Til Chauth Ki Katha)
अगली सुबह जब जेठानी जागी तो उसने देखा कि घर में कचरे का ढेर लगा है। जेठानी को घर साफ करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाई। उसने श्रीगणेश को याद किया। श्रीगणेश ने पुन: सपने में आकर उसे कहा कि ‘तुम अपने देवरानी से ईर्ष्या मत करो, सब ठीक होगा।’ जेठानी ने देवरानी से ईर्ष्या नहीं की और सब ठीक हो गया।