Khabarwala 24 News New Delhi : Maharana Pratap महाराणा प्रताप की वीरता का बखान जब भी होता है तो उनके घोड़े चेतक को जरूर याद किया जाता है। बताया जाता है कि चेतक भी महाराणा की तरह काफी बहादुर था और उसकी छलांग, लंबाई को लेकर कई कहानियां प्रचलित है। क्या आप जानते हैं कि महाराणा प्रताप जब भी चेतक को युद्ध के मैदान में लेकर जाते थे, उस वक्त चेतक के मुंह पर हाथी की नकली सूंड बांध दी जाती थी। जी हां, मुगलों से जंग के वक्त चेतक को मुंह पर हाथी की सूंड बांधकर युद्ध में उतारा जाता था और इसका काफी फायदा भी मिलता था।
आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या होता था और किस वजह से हाथी की सूंड चेतक के मुंह पर बंधी होती थी। चलिए जानते हैं इसके पीछे की कहानी…
दरअसल, जब आप उदयपुर के सिटी प्लेस में जाते हैं तो वहां आपको महाराणा प्रताप से लेकर चेतक की प्रतिमाएं देखने को मिलती है। चेतक की इस प्रतिमा में भी उसके मुंह पर हाथी की सूंड बंधी हुई है। इसके अलावा कई पुराने फोटो और पेटिंग्स में भी चेतक के मुंह पर सूंड बांधने का जिक्र मिलता है। इससे ये कहा जा सकता है कि चेतक के मुंह पर सही में हाथी की सूंड बांधी जाती थी।
क्यों एेसा किया जाता था? (Maharana Pratap)
अब आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता था। दरअसल, उस वक्त मुगलों की सेना काफी बड़ी होती थी और मुगलों की सेना में कई हाथी होते थे। उसके मुकाबले मेवाड़ की सेना में हाथियों और सैनिकों की संख्या कम होती थी। इसके प्रमाण हल्दी घाटी जैसे युद्धों से जुड़े दस्तावेजों में भी मिलते हैं। इस स्थिति में मेवाड़ की सेना घोड़ों पर ज्यादा निर्भर थी और खुद महाराणा प्रताप भी घोड़े पर बैठकर ही युद्ध लड़ते थे।
मेवाड़ी सैनिकों को मिलता था फायदा (Maharana Pratap)
ऐसे में महाराणा के चेतक पर हाथी की सूंड बांधी जाती थी, इससे घोड़ा भी हाथी की तरह दिखता था। माना जाता है कि जब कोई घोड़ा हाथी की सूंड लगाकर दूसरे हाथियों के सामने जाता था तो दूसरे हाथी उसे अपने बच्चे की तरह समझते थे और वो छोटा हाथी समझकर अटैक नहीं करते थे। इसका फायदा मेवाड़ी सैनिकों को मिलता था और वो हाथियों के बीच आसानी से घुस जाते थे और उन्हें इसका फायदा मिलता था।
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