Tulsi Vivah Khabarwala 24 News New Delhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह का उत्सव आज यानि 24 नवंबर को मनाया जा रहा है। इससे पहले दिन देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करवाया जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना कन्यादान से मिलता है।
क्या है तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah)
तुलसी विवाह के दिन द्वादशी तिथि 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी और समापन 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, तुलसी विवाह 24 नवंबर यानी आज होगा।
क्या है तुलसी विवाह शुभ योग (Tulsi Vivah)
आज तुलसी विवाह का एक मुहूर्त सुबह 11 बजकर 28 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 11 तक रहेगा और दूसरा मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 37 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा आज सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में भी तुलसी विवाह करवाया जाता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरा दिन रहेगा
अमृत सिद्धि योग- आज सुबह 6 बजकर 51 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 1 मिनट तक रहेगा.
क्या है तुलसी विवाह की पूजा विधि (Tulsi Vivah)
एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें। इनके बगल में एक जल भरा कलश रखें और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें। तुलसी के गमले में गेरू लगाएं और घी का दीपक जलाएं। तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें और रोली, चंदन का टीका लगाएं। तुलसी के गमले में ही गन्ने से मंडप बनाएं। अब तुलसी को सुहाग का प्रतीक लाल चुनरी ओढ़ा दें। गमले को साड़ी लपेट कर, चूड़ी चढ़ाएं और उनका दुल्हन की तरह श्रृंगार करें। इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है। इसके बाद आरती करें। तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।
क्या हैं तुलसी विवाह उपाय (Tulsi Vivah)
तुलसी विवाह के दिन थोड़े से दूध में केसर मिलाकर आप यदि तुलसी की जड़ में चढ़ाते हैं तो ऐसा करने से धन वृद्धि के मार्ग खुलेंगे और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
आज के दिन तुलसी के पौधे में श्रृंगार का सामान चढ़ाकर उनकी पूजा करनी चाहिए और पूजा के बाद सारा सामान किसी सुहागिन महिला को भेंट कर देना चाहिए।
क्या हैं तुलसी विवाह के नियम (Tulsi Vivah)
-तुलसी विवाह के दिन किसी भी तरह के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और ना तो प्याज, लहसुन का सेवन करना चाहिए।
तुलसी विवाह के दिन घर में किसी तरह का लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए, बल्कि, इस दिन घर के बड़ो का आशीर्वाद लेना चाहिए।
तुलसी विवाह के दिन झूठ बोलने से सावधान रहना चाहिए और किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
क्या है तुलसी विवाह महत्व (Tulsi Vivah)
तुलसी विवाह का आयोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह कराने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उस पर भगवान हरि की विशेष कृपा होती है। तुलसी विवाह को कन्यादान जितना पुण्य कार्य माना जाता है। बताया जाता है कि तुलसी विवाह संपन्न कराने वालों को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है।
तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।
तुलसी स्तुति मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये
तुलसी मंगलाष्टक मंत्र
ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः
चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः
प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः
स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम्
तुलसी माता का ध्यान मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम। य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।