Khabarwala 24 News New Delhi : Ujjain Mysteries Places बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन देश भर में प्रसिद्ध है और इसे देशभर में धार्मिक नगरी के तौर पर पहचाना जाता है। न सिर्फ देश से बल्कि विदेशों से भी पर्यटक यहां घूमने करने के लिए आते हैं और यहां के मंदिरों के चमत्कार सुंदर हैरान रह जाते हैं।
उज्जैन में न सिर्फ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर विराजित है बल्कि यहां पर अन्य कहीं धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपनी विशेषताओं के लिए पहचाने जाते हैं। चलिए आज हम आपको उज्जैन के कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताते हैं जो अपने रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है।
ये है उज्जैन की रहस्यमयी जगह (Ujjain Mysteries Places)
महाकाल मंदिर (Ujjain Mysteries Places)
उज्जयिनी के श्री महाकालेश्वर भारत में बारह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। महाकालेश्वर मंदिर की महिमा का विभिन्न पुराणों में विशद वर्णन किया गया है। कालिदास से शुरू करते हुए, कई संस्कृत कवियों ने इस मंदिर को भावनात्मक रूप से समृद्ध किया है। उज्जैन भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था। समय के देवता, शिव अपने सभी वैभव में, उज्जैन में शाश्वत शासन करते हैं।
काल भैरव (Ujjain Mysteries Places)
काल भैरव मंदिर भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह शहर के संरक्षक देवता काल भैरव को समर्पित है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित, यह शहर के सबसे सक्रिय मंदिरों में से एक है, जहां रोजाना सैकड़ों भक्त आते हैं। यहां विराजित भैरव बाबा को भक्ति मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं।
संदीपनी आश्रम (Ujjain Mysteries Places)
उज्जैन में संदीपनी आश्रम स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की थी। महर्षि सांदीपनि का आश्रम मंगलनाथ रोड पर मौजूद है। बता दें, आश्रम के पास के इलाके को अंकपात के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा मना जाता है कि ये जगह भगवान श्री कृष्ण द्वारा अपनी लेखनी को धोने के लिए उपयोग किया गया था। आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा की बैठी हुई बाल रूप की प्रतिमा स्थापित है।
4 विद्याएं और 16 कलाओं का ज्ञान लिया (Ujjain Mysteries Places)
सभी एक साथ विद्यार्थी की तरह हाथों में स्लेट और कलम लेते हुए दिख रहे हैं। जब बाल कन्हैया पढ़ने के लिए आए तब उनकी उम्र 11 साल थी। भगवान श्री कृष्ण ने यहां 64 विद्याएं और 16 कलाओं का ज्ञान लिया था। अपने मामा कंस का वध करने के बाद कृष्ण जी ने बाबा महाकालेश्वर की नगरी अवंतिका में आने के बाद 64 दिनों तक रुककर शिक्षा प्राप्त की थी।
सिंहासन बत्तीसी (Ujjain Mysteries Places)
राजा विक्रमादित्य का 36 पुुतलियों वाल रहस्यमयी सिंहासन को लेकर भी कई किस्से कहानियां उज्जैन में प्रचलित है। माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य का दरबार उनकी कुलदेवी हरसिद्धी माता के मंदिर के सामने लगता था और वहीं उनका सिंहासन स्थित था। उस स्थान पर खुदाई में निकले पत्थरों को सिंहासन के अवशेष मानकर रोज उनकी पूजा होती है और पर्यटक उस विक्रम टीले को भी देखने अाते हैै।
हरसिद्धि मंदिर
उज्जैन में महाकाल क्षेत्र में माता हरसिद्धि का प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि यह स्थान सम्राट विक्रमादित्य की तपोभूमि है। मंदिर के पीछे एक कोने में कुछ ‘सिर’ सिन्दूर चढ़े हुए रखे हैं। ये ‘विक्रमादित्य के सिर’ बतलाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि महान सम्राट विक्रम ने देवी को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक 12वें वर्ष में अपने हाथों से अपने मस्तक की बलि दे दी थी।
उन्होंने ऐसा 11 बार किया लेकिन हर बार सिर वापस आ जाता था। 12वीं बार सिर नहीं आया तो समझा गया कि उनका शासन संपूर्ण हो गया। हालांकि उन्होंने 135 वर्ष शासन किया था। वैसे यह देवी वैष्णवी हैं तथा यहां पूजा में बलि नहीं चढ़ाई। परमारवंशीय राजाओं की भी ये कुलदेवी है।
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