Khabarwala 24 News Lucknow: UP News मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा से लगे चंबल के बीहड़ में 1970 के दशक में डाकुओं की दहशत थी। उस समय आईपीएस अजय राज शर्मा अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हुए थे। खेरागढ़ से 40 से अधिक बच्चों के अपहरण के दौरान डाकू जंगा और फूला ने एक दरोगा की हत्या कर दी थी। घटना के बाद अजय राज शर्मा ने डाकुओं के सफाए का बीड़ा उठाया। एक-एक कर कई गैंग को मार गिराया या घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। बता दें कि आईपीएस अजय राज शर्मा का मंगलवार को नोएडा में निधन हो गया।
अजय राज शर्मा ने अपनी पुस्तक बाइटिंग द बुलेट में लिखा (UP News)
अजय राज शर्मा ने अपनी पुस्तक बाइटिंग द बुलेट में भी खेरागढ़ की घटना का जिक्र किया है। 1970 के दशक में आगरा में डाकू कई वारदात को अंजाम दे रहे थे। अपहरण करके बीहड़ में पकड़ को रखते। इसके बाद फिरौती वसूल की जाती थी। तब राजस्थान के जंगा और फूला गैंग ने 40 से 50 डाकुओं के साथ खेरागढ़ क्षेत्र के स्कूल पर हमला किया था। पूरी क्लास का अपहरण कर ले गए थे।उस समय एसएसपी एसके सिंघल थे। सवाल उठ रहा था कि डाकुओं ने पूरी क्लास के बच्चों का अपहरण क्यों किया। वह क्या चाहते हैं? वह शिक्षकों को भी लेकर चले गए थे।
इस सूचना के बाद पुलिस टीम ने ऑपरेशन चलाया था। डाकुओं ने बच्चों को ले जाने के लिए रोडवेज बस को रोका था। सवारियों को उतारने लगे थे। लोगों को धमकी दी थी। तभी बस में सफर कर रहे थाने के दरोगा महावीर सिंह ने विरोध किया था। साहस दिखाते हुए डाकू से राइफल छीनने की कोशिश की। एक महिला डाकू ने गोली चला दी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
गैंग के सफाया की सौंपी गई थी कमान (UP News)
इस घटना का आईपीएस अजय राज शर्मा ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है। महावीर सिंह की बहादुरी के वह कायल हो गए थे। उनके हाथ में एक डाकू का पट्टा आ गया था। जिसे उठाकर ही अजय राज शर्मा ने डाकुओं का सफाया करने की ठानी थी। उन्हें ऑपरेशन चंबल घाटी के लिए भेजा गया था। तब उन्होंने गैंग का सफाया कर दिया। इसके बाद ही उन्हें एसटीएफ की कमान सौंपी गई। अजय राज शर्मा 1 सितंबर, 1981 से 4 दिसंबर, 1982 तक एसएसपी आगरा भी रहे।
हैदराबाद से करवाई थी 50 हजार के इनामी की गिरफ्तारी (UP News)
वर्ष 1998 से 2000 और वर्ष 2007 से 2012 तक एसटीएफ आगरा में तैनात रहे सेवानिवृत्त सीओ बीएस त्यागी बताते हैं कि एसटीएफ के गठन के दौरान उनकी टीम में 37 जवानों में अजय राज शर्मा भी शामिल थे। तब एसटीएफ के पास अपना कार्यालय भी नहीं हुआ करता था। टीमें गाड़ियों में भी अपनी तैयारी करती थीं। टीम ने तब फिरोजाबाद के 50 हजार के इनामी मुकेश यादव को भी हैदराबाद से गिरफ्तार किया था। वह वहां छिपा हुआ था। अजय राज शर्मा ने हैदराबाद पुलिस से समन्वय स्थापित कराकर ऑपरेशन चलवाया।