Khabarwala24News UP Nikay Chunav 2023: नगर निकाय चुनाव में पिछले कुछ परिणामों को देखा जाए तो अपराधियों या दबंग किस्म के उम्मीदवारों की दाल ज्यादा नहीं गल पाती है।Nikay Chunav निकाय चुनाव में जनप्रतिनिधि चुनने में साफ-सुधरी छवि को महत्व देने का ट्रेंड देखने में आया है। वर्ष 2012 और 2017 में देखें तो साफ छवि के उम्मीदवार ज्यादा जीते। वर्ष 2012 में अपराधी छवि के सिर्फ 20.75 फीसदी उम्मीदवार ही जीत सके जबकि वर्ष 2017 में हुए निकाय चुनावों में अपराधी छवि के 31.25 प्रतिशत उम्मीदवार जीते थे।
अपनों के बीच से चुना जाता है सभासद
Nikay Chunav निकाय चुनाव शहरी क्षेत्र के मतदाताओं के लिए होता है। मेयर के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष के साथ सदस्यों के लिए वही चुनाव जीतता है जिसकी छवि अच्छी हो और शहरों में उसकी लोगों के बीच अच्छी पहचान हो। लोगों के बीच में रहता हो, व्यवहार मधुर हो, लोगों की समस्या का समाधान कराने की क्षमता हो, इसी के चलते राजनीतिक पार्टियां टिकट देने में स्थानीय लोगों के साथ ही पढ़े-लिखों को अधिक तरजीह देती हैं।
नगर चुनाव का बड़ा मुद्दा विकास
Nikay Chunav निकाय चुनाव में देखा जाए तो विकास और सफाई सबसे बड़ा मुद्दा होता है। इस बार के चुनाव में बंदर और कुत्ते की समस्या का मुद्दा भी उठाया जा रहा है। बड़ा शहर हो या छोटा, यहां चुने जाने वाले कई अध्यक्ष और सदस्य सालों-साल से चुनाव जीतते चले आते हैं, चाहे वे जिस पार्टी में हो। उदाहरण के रूप में देखा जाए तो पिछले चुनाव में नगर निगमों में सबसे अधिक 225 पार्षद चुने गए। पालिका परिषद में अध्यक्ष 43 और नगर पंचायत में 182 चुने गए। सदस्यों की संख्या पालिका परिषद में 3379 और नगर पंचायत में 3876 सदस्य चुने गए। इनके जीतने का आधार इनकी अच्छी छवि ही मानी गई।
बागियों और निर्दलीयों को खूब करते हैं पंसद
Nikay Chunav निकाय चुनाव ही एक ऐसा चुनाव है जिसमें बागियों और निर्दलियों को भी मतदाता खूब चुनते हैं। कई बागी एेसे प्रत्याशी बनते है तो विभिन्न राजनैतिक दलों में वर्षों मेहनत करते हैं और आखिरी समय पर उनका टिकट कट जाता है। एेसे में कई बार देखा जाता है कि क्षेत्र की जनता बागियों का साथ देती है। इसकी मुख्य वजह ऐसे उम्मीदवारों की अपने क्षेत्र में साफ-सुथरी छवि और जान पहचान होना माना जाता रहा है।