Uttarakhand Tunnel Collapse Khabarwala 24 News New Delhi: उत्तरकाशी में टनल हादसे के बाद पहुंची अमेरिकी ऑगर मशीन ने शुक्रवार सुबह तक 30 मीटर ड्रिलिंग कर ली है। बताया गया है कि 6-6 मीटर के 5 पाइप मलबे के अंदर डाल दिए गए है।इससे आगे 30 से 40 मीटर की खुदाई कुछ आसान होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि सुबह 4 बजे एक पत्थर आने की वजह से मिशन रुक गया था, लेकिन कटरों और मशीनों की मदद से उसे काट दिया गया।
हालांकि, अब भी करीब 30 मीटर तक खुदाई बाकी है। ऑगर मशीन को गुरुवार को लगाया गया था, जिसके बाद ड्रिलिंग मशीन ने गुरुवार रात तक 12 मीटर मलबा हटा दिया था।
हादसे के बाद ड्रिलिंग के जरिए मलबा हटाने के लिए पहले एक छोटी मशीन को लगाया गया था। इसके बाद हरक्यूलिस विमान से बुधवार को अमेरिकन ऑगर मशीन के पार्ट्स को दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाया गया। दिल्ली से पहुंची 25 टन की इस मशीन का सेटअप रातोंरात कर लिया गया और फिर तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन में इसे इस्तेमाल किए जाने लगा।
10 एंबुलेंस तैनात हैं टनल के बाहर (Uttarakhand Tunnel Collapse)
रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच टनल के बाहर 6 बिस्तरों वाला एक अस्थायी हॉस्पिटल भी तैयार किया गया है। टनल से मजदूरों के निकलने के बाद उन्हें तुरंत मेडिकल सुविधाएं मिल सकें इसलिए टनल के बाहर 10 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं। दरअसल, चिकित्सकों ने सलाह दी है कि टनल से निकलने के बाद श्रमिकों को मानसिक-शारीरिक मार्गदर्शन की जरूरत होगी।
श्रमिकों का एक्सपर्ट्स ने बताया हाल (Uttarakhand Tunnel Collapse)
मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंब समय तक बंद जगह पर फंसे रहने के कारण पीड़ितों को घबराहट का अनुभव करना पड़ रहा होगा। इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता के कारण भी उनके शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है। ऐसी भी आशंका है कि लंबे समय तक ठंडे और भूमिगत तापमान में रहने के कारण उनहें हाइपोथर्मिया भी हो सकता है और वे बेहोश हो सकते हैं।
क्या बोले टनल एसोसिएशन के चीफ (Uttarakhand Tunnel Collapse)
दुनिया के कई देशों की इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर है। अब इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने भी इस ऑपरेशन में मदद करने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि वह बचाव कार्य पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर बचाव कार्य प्रभावी नहीं रहता है तो वह अपने सभी सदस्य देशों की तरफ से मदद करने के लिए भारत में तैनात रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि भारत दुनिया के अग्रणी सुरंग निर्माता देशों में से एक है। यह बेहद गंभीर मामला है. ४० जिंदगियां बड़े खतरे में हैं।
टनल से पाइप के जरिए निकाले जाएंगे (Uttarakhand Tunnel Collapse)
आपको बता दें कि टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू टीम अलग रणनीति को लेकर काम कर रही है। टीम का यह योजना है कि वह मलबे में ड्रिलिंग करके वहां 100 मिमी व्यास वाले पाइप उसमें फिट कर देगी। इस पाइप के जरिए ही सभी मजदूरों को वहां से निकाल लिया जाएगा।