Uttarakhand Tunnel Khabarwala24 News Garhmukhteshwar (Hapur) : उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में गढ़ के युवा मैकेनिकल इंजीनियर का भी बड़ा योगदान रहा। युवा ने अपनी टीम के साथ प्रोब कैमरे की मदद से टनल में फंसे श्रमिकों की सही स्थिति बताई, जिससे बचाव कार्य काफी आसान हो सका।
नगर निवासी कमलेश शर्मा के बेटे वरूण शर्मा ने आईएमएस इंजीनियर कॉलेज गाजियाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। जो वर्तमान में लखनऊ की रोबोस कंपनी में टैक्निकल एडवाइजर के रूप में भी कार्यरत हैं, साथ ही वैज्ञानिक बनने के लिए भी तैयारी में जुटे हुए हैं।
श्रमिको की किस तरह की मदद (Uttarakhand Tunnel)
वरूण ने बताया कि लखनऊ की रोबोस कंपनी के माध्यम से सिलक्यारा में बचाव कार्य में जुटे हुए दल के आपरेशन हैड कर्नल दीपक पाटिल से उनकी वार्ता ऑगर मशीन टूटने के बाद 21 नवंबर को हुई, जिसमें रोबोस की ओर से तकनीकी मदद टीम को देने के संबंध में लंबी बातचीत हुई। उस समय कर्नल दीपक ने उन्हें कुछ समय इंतजार करने के लिए कहा।
– 26 नवंबर को मिली सूचना, 27 को पहुंच किया काम शुरू (Uttarakhand Tunnel)
वरूण ने बताया कि 26 नवंबर को कर्नल दीपक पाटिल ने कॉल कर उन्हें मदद के लिए बुलाया। 27 को सुबह 11 बजे वह अपने साथी मिलिंद राज(रोबोटिक वैज्ञानिक) के साथ सिलक्यारा पहुंच गए। उन्होंने बचाव दल के साथ मिलकर सुरंग में खाना पहुंचाने के लिए बनाई गई पाइपलाइन के जरिए आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस कैमरा फिट किया। जिसके जरिए श्रमिकों की लोकेशन और सुरंग के अंदर की सही स्थिति की जानकारी मिल सकी। इसके अलावा ऑगर मशीन के विकल्प के रूप में वाटर जैट मशीन की भी व्यवस्था की गई, लेकिन रैट माइनर्स ने वाटर जैट मशीन पहुंचने से पहले की सुरंग में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, रैट माइनर्स समेत अन्य विभागों के 300 से भी अधिक लोग सुरंग के अंदर मदद को मौजूद रहे।
– सभी कर रहे थे प्रार्थना, नहीं थम रहे थे श्रमिकों के परिजनों के आंसू
उन्होंने बताया कि सिलक्यारा सुरंग के आसपास मौजूद हजारों की भीड़ में हर कोई फंसे हुए श्रमिकों की सलामती और सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहा था। वहीं श्रमिकों के परिजनों की बैचेनी और आंसू थम नहीं रहे थे। जिनके बाहर आने पर सभी में खुशी की लहर दौड़ गई।