Khabarwala 24 News New Delhi : Vadhvan Port देश की इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए सरकार ने कुछ ऐसा बनाना शुरू कर दिया है जिस पर सभी की निगाहें हैं। जी हां महाराष्ट्र के पालघर जिले में वधावन बंदरगाह का निर्माण कर रही है। सरकार को पूरी उम्मीद है कि साल 2030 तक यह बंदरगाह चालू हो जाएगा। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का एक स्टेशन भी वधावन बंदरगाह के पास बनाया जाएगा। इसके निर्माण पर भले ही सरकार को मोटा पैसा खर्चा करना पड़ रहा है, लेकिन एक बार तैयार होने के बाद यह इकनॉमी को नया बूस्ट दे सकता है। इससे निर्यात को बढ़ाया जा सकेगा और लाखों नौकरियां भी पैदा होंगी।
हिस्सेदारी 74% और 26% (Vadhvan Port)
भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार तो पूरी दुनिया को दिख रही है, लेकिन अब भारत सरकार का मानना है कि इस मेगा पोर्ट की लागत 76,220 करोड़ रुपये हो सकती है। इसका निर्माण वाधवन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (वीपीपीएल) द्वारा किया जा रहा है, जो जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (जेएनपीए) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) का संयुक्त उद्यम है। इसमें दोनों की हिस्सेदारी 74% और 26% है।
देश का सबसे बड़ा पोर्ट (Vadhvan Port)
इस गहरे पानी के पोर्ट को 19 जून को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई थी। यह भारत का सबसे बड़ा पोर्ट है और केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम का हिस्सा है। इससे देश की लॉजिस्टिक्स को मजबूत बनाया जा सकता है। जेएनपीए के चेयरमैन उमेश शरद वाघ ने बताया कि वाधवन ग्रीनफील्ड पोर्ट दुनिया के टॉप 10 पोर्ट्स में शामिल हो सकता है और इसे देश व क्षेत्र दोनों के लिए गेम चेंजर कहा जा रहा है।
दुनिया की टिकी निगाहें (Vadhvan Port)
यह पोर्ट वैश्विक स्तर पर काफी रुचि पैदा कर रहा है और इसके चालू होने पर 12 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। भारत के पश्चिमी तट पर विकसित हो रहा यह ग्रीनफील्ड मेगा कंटेनर पोर्ट भारत की माल ढुलाई क्षमता को बहुत मजबूत बना देगा। यह परियोजना भारत के निर्यात-आयात (EXIM) व्यापार के लिए परिवर्तनकारी मानी जा रही है।
खास है यह बंदरगाह (Vadhvan Port)
पालघर में बन रहा यह बंदरगाह देश के लिए ज्यादा जरूरी इसलिए है, क्योंकि पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र ही भारत के 75% कंटेनर व्यापार को संभालते हैं। मौजूदा बंदरगाह जैसे मुंद्रा और जेएनपीए 90% क्षमता पर काम कर रहे हैं और 65% EXIM व्यापार को संभाल रहे हैं। इसका मतलब है कि भारत को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तुरंत अतिरिक्त क्षमता की आवश्यकता है।
9 कंटेनर टर्मिनल होंगे (Vadhvan Port)
समुद्र से 10 किलोमीटर दूर स्थित यह गहरे पानी वाला बंदरगाह, जिसकी गहराई 20 मीटर है और पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचा रहा है। इस बंदरगाह में नौ कंटेनर टर्मिनल होंगे, जिनमें से प्रत्येक की लंबाई 1,000 मीटर होगी। इसकी सालाना क्षमता 29.8 करोड़ मीट्रिक टन होगी। सरकार ने साल 2030 तक इसका निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
करोड़ों की होगी बचत (Vadhvan Port)
यह बंदरगाह प्रति जहाज 100 डॉलर तक बचत करेगा, जिससे 25% लागत में कमी आएगी, क्योंकि अब विदेशी हब से ट्रांसशिपमेंट की आवश्यकता नहीं होगी। एक ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में यह पश्चिमी समुद्री तट 100% कार्गो को संभालेगा और पड़ोसी देशों की सेवा करेगा, जिससे उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों के लिए लॉजिस्टिक्स लागत में 25% की कमी आएगी। बड़े जहाजों को 10% लागत घटाने में मदद मिलेगी और उत्तरी हिन्टरलैंड के लिए 150 किलोमीटर का छोटा मार्ग मिलेगा।