Khabarwala 24 News New Delhi : Vastu Dosh Death घर का वास्तु के अनुसार होना जरूरी है। हर घर, मकान या भवन का फल वहां रहने के कुछ वर्षों बाद ही देखने को मिलता है। वास्तु के अनुसार जिस तरह आग्नेयमुखी, नैऋत्यमुखी और दक्षिणमुखी मकान को अशुभ माना जाता है उसी तरह मकान की बनावट के और भी कुछ नियम है। भारतीय वास्तु शास्त्र को सबसे सटीक शास्त्र माना जाता है। प्राचीन मंदिर इसके उदाहरण है। कहते हैं कि उन नियमों के अनुसार मकान नहीं बना है तो गृह स्वामी का नाश हो जाता है या उसकी आकस्मिक मृत्यु हो जाती है। हालांकि इस बात को जानने के लिए किसी ज्योतिष और वास्तुशास्त्री से मिलना चाहिए।
1. यम का मकान (Vastu Dosh Death)
एक दीवार से मिले हुए दो मकान यमराज के समान होते हैं, जो गृहस्वामी का नाश कर देते हैं। लाल किताब में भी इस तरह के मकान को बुरा माना गया है, इसलिए भवन के चारों ओर एवं मुख्य द्वार के सामने तथा पीछे कुछ भूमि आंगन के लिए छोड़ देना चाहिए।
2. संपत्ति का नाश (Vastu Dosh Death)
भवन यदि भूखंड के उत्तर या पूर्व में है तो अनिष्टकारी होता है। गृहस्वामी की संपत्ति का नाश होता है। यदि भवन भूखंड के मध्य हो तो शुभ होता है।
3. भोजन कक्ष (Vastu Dosh Death)
यदि भवन के मध्य में भोजन कक्ष है तो गृहस्वामी को कई तरह की समस्याओं को झेलना होता है। उसका जीवन संघर्षमय हो जाता है। मध्य में लिफ्ट या शौचालय है तो घर का नाश हो जाएगा।
4. महिलाओं पर संकट (Vastu Dosh Death)
पूर्व दिशा निर्माण के कारण यदि पश्चिम से भारी हो जाए तो वाहन दुर्घटनाओं का भय रहता है। दक्षिण में जलाशय होने वाले भवनों में स्त्रियों पर अत्याचार होते देखे जा सकते हैं। यहां जलाशय से गृह स्वामिनी गंभीर बीमारी से भी पीड़ित हो सकती है।
5. आग्नेय दिशा (Vastu Dosh Death)
घर की आग्नेय दिशा में वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर का वृक्ष होने से पीड़ा और मृत्यु होती है। यह दिशा शुक्र की है यहां पर गुरु से संबंधित पेड़ पौधे नहीं होने चाहिए और साथ ही इस दिशा में कोई दोष नहीं होना चाहिए।
6. मुख्य द्वार (Vastu Dosh Death)
मुख्य द्वार के सामने मार्ग या वृक्ष होने से गृहस्वामी को अनेक रोग होते हैं। कई बार यह रोग गंभीर रूप धारण करके आकस्मिक मृत्यु का कारण भी बन जाते है। कोई गृह द्वार मार्ग से वेधित हो तो गृहस्वामी की मृत्यु होती है। गली, सड़क या मार्ग द्वारा द्वार-वेध होने पर पूरे कुल का क्षय हो जाता है। द्वार के ऊपर जो द्वार बनता है, वह यमराज का मुख कहा जाता है। मार्ग के बीच में बने हुए जिस गृह की चौड़ाई अधिक होती है, वह वज्र के समान शीघ्र गृहपति के विनाश का कारण होता है।
7. मकान का मटेरियल (Vastu Dosh Death)
ईंट, लोहा, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी- ये नए मकान में नए ही लगाने चाहिए। एक मकान में उपयोग की गई लकड़ी दूसरे मकान में लगाने से गृहस्वामी का नाश होता है।
8. नक्षत्र दोष (Vastu Dosh Death)
सूर्य जिस नक्षत्र में स्थित होता है, उससे 3 नक्षत्र वृषभ के सिर पर स्थित होते हैं। इसमें गृहारंभ करने से गृहपति या गृह को अग्नि का भय रहता है। तीन नक्षत्रों से अगले 4 नक्षत्रों में शून्यफल, उससे अगले 4 में स्थिरता, फिर अगले 3 में धनलाभ और उसके अगले 4 में लाभ होता है। इसके बाद अगले 3 में गृहारंभ करने से गृहपति का नाश होता है। इसके बाद के नक्षत्र भी अशुभ फलदायी होते हैं।
9. घर की नींव (Vastu Dosh Death)
नींव खुदाई के समय भी भूमि पर राहु के मुख की स्थिति देखकर ही खुदाई की जाती है। यदि राहु के मुख पर खुदाई की जाए तो गृहस्वामी पर विपत्ति आती है या उसका नाश हो जाता है। यदि सिंह से 3 राशि तक सूर्य हो तो ईशान में, वृश्चिक से 3 राशि हो तो वायव्य में, कुंभ से 3 राशि तक नैऋत्य में तथा वृषभ से 3 राशि तक सूर्य हो तो आग्नेय कोण में राहु का मुख होता है।
10. गृहवेध (Vastu Dosh Death)
गृहवेध को भी ध्यान रखना जरूरी है। घर से दूना द्वार हो तो दृष्टिवेध में धन का नाश और निश्चय से गृहस्वामी का मरण होता है। एक घर से दूसरे घर में वेध (छायावेध) पड़ने पर गृहपति का विनाश होता है। छायावेध कई प्रकार के होते हैं। यदि 10 से 3 बजे के बीच किसी मंदिर, नकारात्मक वृक्ष, ध्वज, अन्य ऊंचा भवन, पहाड़ आदि की छाया पड़े तो इसे छायावेध कहते हैं। अत: सभी प्रकार के वेध जानकर ही गृह का निर्माण करें।