Khabarwala 24 News New Delhi : Vish Kanya वैदिक साहित्य, लोक कथाओं और इतिहास में हमेशा से ही विष कन्याओं का जिक्र मिलता है। प्राचीन समय में राजा- महाराजाओं के पास विष कन्याएं हुआ करती थीं। प्राचीन साहित्य के अनुसार विष कन्या उस स्त्री को कहा जाता है, जिसे बचपन से ही थोड़ा-थोड़ा विष देकर जहरीला बनाया जाता था। विष कन्याएं जासूसी का काम करती थीं। इनका काम खतरनाक शत्रु को मारना या फिर कोई भेद निकलवाना होता था। ऐसे कई किस्से प्राचीन साहित्य में मिलते हैं जब राजा अपने शत्रु का छलपूर्वक अंत करने के लिए विष कन्याओं को भेजते थे। ये विष कन्याएं लोगों को KISS करती थीं और ऐसा करते ही व्यक्ति की मौत हो जाती थी।
विष कन्या होने की शर्त (Vish Kanya)
विष कन्याओं के लिए रूपवान होना पहली शर्त थी। इन उल्लेखों के अनुसार इन विष कन्याओं को बचपन से ही थोड़ी-थोड़ी मात्रा में विष (जहर) देकर बड़ा किया जाता था। उन्हें विषैले वृक्ष और विषैले प्राणियों के संपर्क में रखकर अभ्यस्त किया जाता था। साथ ही साथ उन्हें संगीत-नृत्य, साहित्य, सजने-संवरने और लुभाने की कला में पारंगत बनाया जाता था। प्राचीन साहित्य में उल्लेख मिलता है कि विष कन्याओं की सांसों में ही जहर होता था।
कौन होती थीं ये लड़कियां (Vish Kanya)
ये वे लड़कियां होती थीं जो राजाओं की अवैध संतानें होती थीं, जैसे दासियों से साथ उनके मेल से आई संतानें. या फिर अनाथ या गरीब बच्चियां। इन्हें राजमहल में ही रखकर खानपान का ध्यान रखा जाता। कुछ दिनों बाद इन्हें जहरीला बनाने की प्रक्रिया शुरू होती। कम उम्र से ही कम मात्रा में जहर दिया जाता। धीरे-धीरे जहर की मात्रा बढ़ाई जाती थी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर लड़कियां मर जाया करतीं। कुछ विकलांग हो जातीं. जो लड़कियां सही-सलामत रहतीं, उन्हें और घातक बनाया जाता था।
यूरोपीय साहित्य में जिक्र (Vish Kanya)
धीरे-धीरे जहर देकर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के वाकये का जिक्र यूरोपीय साहित्य में भी मिलता है। इसे मिथ्रीडेटिज्म कहा जाता है, क्योंकि ईसा से करीब एक शताब्दी पहले पोंटस साम्राज्य के राजा मिथ्रीडेटस VI के भी इसके प्रयोग करने के किस्से मिलते हैं। बारहवीं शताब्दी में रचे गए ‘कथासरित्सागर’ में विष कन्याओं के अस्तित्व का प्रमाण मिलता है। सातवीं सदी के नाटक ‘मुद्राराक्षस’ में भी उल्लेख है। ‘शुभवाहुउत्तरी कथा’ नाम के संस्कृत ग्रंथ में राजकन्या कामसुंदरी भी एक विष कन्या ही है।
कल्कि पुराण में जिक्र है (Vish Kanya)
हिंदू धर्मग्रंथ कल्कि पुराण में भी विष कन्याओं का जिक्र मिलता है। इसमें कहा गया है कि विष कन्याएं किसी इंसान को मात्र छूकर मार सकती थीं। इसी धर्मग्रंथ में चित्रग्रीवा नाम के एक गंधर्व की पत्नी सुलोचना का जिक्र भी मिलता है। जो विष कन्या थी, विष कन्याओं के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने सामान्य स्तर से बहुत अधिक उच्च स्तर पर होती थी। वे केवल अपनी मृत्यु के समय ही थोड़ी बीमार पड़ती थीं। इनके विष की वजह से ही इन्हें रोग या संक्रमण नहीं होते थे।
एक घूंट से जहरीली शराब (Vish Kanya)
कई बार विष कन्याएं शत्रु को जहरीली शराब पिलाकर भी मार देती थीं। वे पहले उसी प्याली से एक घूंट शराब पी लेती थीं, लेकिन सबसे चतुर तरीका चुंबन के जरिए लोगों को मारना था। कहा जाता है कि मगध के राजा नंद के मंत्री आमात्य राक्षस ने चंद्रगुप्त मौर्य को मारने के लिए एक विष कन्या को भेजा था, लेकिन इस षड्यंत्र के बारे में चाणक्य को शक हो गया था और उसने चंद्रगुप्त मौर्य को बचा लिया था और विष कन्या द्वारा गलत व्यक्ति मार दिया गया था, जिसका नाम पर्वतक था।
संस्कृत साहित्य में जिक्र (Vish Kanya)
लोककथाओं में भी विषकन्या विषय खूब फला-फूला. संस्कृत साहित्य सुकसप्तित में तोता अपनी कहानी की नायिका को अपने शरीर के जहर से मारने वाली युवती पर कहानी सुनाता है। हालांकि ऐसा कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं है जो पुराने समय में विषकन्याओं के होने की पुष्टि कर सके लेकिन तब भी दुनिया भर के साहित्य और लोकगाथाओं में उल्लेख इसके होने पर मुहर लगाता है। हनी ट्रैप को विषकन्या का ही आधुनिक टर्म माना जाता है। कई ऐसी हनी ट्रैपर रहीं, जो किंवदंतियां बन चुकी हैं।