Khabarwala 24 News New Delhi : Wheat Stocks आपकी थाली की रोटी और महंगी हो सकती है क्योंकि देशभर के सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार सात साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इससे पहले साल 2017 में देशभर के गोदामों में 137.5 लाख टन गेहूं का भंडार रिकॉर्ड किया गया था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियों के पास 1 जनवरी, 2024 तक गेहूं का कुल भंडार 163.5 लाख टन था, जो सात साल में सबसे नीचे है। पिछले सात सालों में ज्यादा भंडार 2021 में दर्ज किया गया, जब गेहूं का कुल स्टॉक 342.90 लाख टन था। 2022 में यह घटकर 330.12 लाख टन और 2023 में 171.70 लाख टन रह गया।
30 लाख टन का भंडार सुरक्षित (Wheat Stocks)
हालाँकि, मौजूदा भंडार कैलेंडर वर्ष की शुरुआत के लिए 138 लाख टन के न्यूनतम बफर से अधिक है। भविष्य में होने वाली किसी वस्तु की कमी को पूरा करने के लिए वस्तु का भंडार तैयार करना ‘बफर स्टॉक’ (Buffer Stock) कहलाता है। तीन महीने की 108 लाख टन की परिचालन आवश्यकता और किसी भी खरीद की कमी को पूरा करने के लिए 30 लाख टन का भंडार सुरक्षित रखा जाता है।
चावल और गेहूं दोनों के भंडार (Wheat Stocks)
सरकारी गोदामों के आंकड़ों से पता चलता है कि पहली जनवरी, 2024 तक चावल का स्टॉक, 516.5 लाख टन (बिना मिल वाले धान से प्राप्त अनाज सहित), है, जो मानक न्यूनतम बफर 76.1 लाख टन से काफी ऊपर है। चावल और गेहूं दोनों के भंडार को मिलाकर देखें तो यह आंकड़ा 680 लाख टन तक पहुंच जाता है, जो बफर स्टॉक 214.1 लाख टन से तिगुना ज्यादा है।
दिसंबर में बढ़े अनाज के दाम (Wheat Stocks)
मौजूदा गेहूं स्टॉक में कमी तब भी आई है, जब सितंबर 2022 से नवंबर 2023 तक लगातार 15 महीनों तक मुद्रास्फिति डबल डिजिट में रहने के बाद दिसंबर में खुदरा अनाज की कीमतें साल-दर-साल 9.93 प्रतिशत बढ़ी हैं। इस गिरावट का कारण लगातार दो सालों में कम गेहूं उत्पादन है, जिससे राज्य संचालित एजेंसियों को निजी संस्थाओं को ज्यादा बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
गेहूं की कीमतें 20% से ज्यादा (Wheat Stocks)
पिछले साल, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक भारत ने गेहूं का निर्यात बंद कर दिया था क्योंकि गर्मी के कारण पर्याप्त गेहूं नहीं पैदा हुआ था और रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के कारण वैश्विक कीमतें बढ़ गई थीं। 2023 में अमेरिकी गेहूं की कीमतें 35% से ज्यादा गिर गईं, निर्यात प्रतिबंध के बावजूद हाल के महीनों में भारत में गेहूं की कीमतें 20% से ज्यादा बढ़ गई हैं।
केंद्र ने उपायों का सहारा लिया (Wheat Stocks)
व्यापार और उद्योग विशेषज्ञ इसका कारण घरेलू गेहूं उत्पादन को कृषि मंत्रालय के 112.74 मिलियन मीट्रिक टन के रिकॉर्ड अनुमान से कम से कम 10% कम होना बताते हैं। इन सबके बीच केंद्र सरकार ने अनाज मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कई उपायों का सहारा लिया है – जिसमें गेहूं और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना शामिल है; थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं को 1,000 टन से अधिक गेहूं रखने की अनुमति नहीं देना; और एफसीआई के स्टॉक से अनाज खुले बाजार में बेचना भी उन प्रयासों में शामिल है।