BSP Khabarwala24News New Delhi : बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती आजकल भाजपा के साथ ही संपूर्ण विपक्ष पर हमलावर हैं। आखिर क्या है इसकी वजह ? सियासी जानकारों की माने तो इसे बसपा प्रमुख की खास रणनीति करार दे रहे हैं। मकसद मिशनः2024 में बसपा को चुनाव मैदान में मजबूती से बनाए रखना और एकला चलो की रणनीति पर अमल करना है ताकि परिणामों के बाद सहूलियत के मुताबिक रणनीति तय की जा सके। वहीं भाजपा पर हमले की रणनीति के पीछे खुद को उसकी B पार्टी होने की आरोपों से दूर रखने की कोशिश भी माना जा रहा है।
मुस्लिमों को साधने का प्रयास
बसपा सुप्रीमो मायावती दरअसल बीते विधानसभा चुनाव के बाद से मुस्लिम वोटों को अपनी पार्टी में करने की कवायद में जुटी हैं। वह लगातार मुस्लिमों के मुद्दों पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेती रही हैं। उन्होंने कई बार समाजवादी पार्टी को भी मुस्लिमों का मसीहा बनने के मुद्दे पर आड़े हाथ लेते हुए मुस्लिमों को संदेश दिया कि सपा के साथ उनका हित नहीं होना। वहीं बुधवार को उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की यूपी और अन्य राज्यों की सरकारों की नीतियों पर कड़ा हमला कर मुस्लिम वर्ग की सहानुभूति लेने और उन्हें संदेश देने की कोशिश की। उनके इस कदम को भाजपा की B पार्टी होने की विपक्ष द्वारा लगाई जाने वाली तोहमत से दूर रखने के रूप में भी देखा जा सकता है
दलित वोटों में न लगे सेंध
मायावती ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और संपूर्ण विपक्ष कांग्रेस-सपा की इस कवायद को दलितों के हितों का नाटक करार देते हुए हमला किया है। इसकी भी वजह है दरअसल, मायावती यह नहीं चाहतीं कि उनके दलित वोट बैंक में कोई अन्य दल सेंध लगाए। बसपा का वोट प्रतिशत वर्ष 2007 में करीब 30.43 फीसदी से अब वर्ष 2022 में 12.88 फीसदी तक सिमट चुका है। 23 जून की रैली को उन्होंने दलितों के हितों के विरुद्ध करार देते हुए संदेश देने की कोशिश की है कि सही मायने में जब तक बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को लागू नहीं किया जाता, तब तक दलितों का हित नहीं होने वाला।
बसपा ने कब-कब किया गठबंधन
वर्ष 1993 में सपा-बसपा का विधानसभा चुनाव में साथ
वर्ष 1996 में बसपा ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गठबंधन किया
वर्ष 2019 बसपा ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया।