Thursday, May 15, 2025

Women in Indian Police 1000 से भी कम महिलाओं के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी, 90 प्रतिशत महिलाएं कांस्टेबल, चौंकाने वाली रिपोर्ट आई सामने

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Khabarwala 24 News New Delhi : Women in Indian Police देश भर के पुलिस बल में 90 प्रतिशत महिलाएं कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं। बता दें कि 1000 से भी कम महिलाओं के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2025 में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया कि डीजीपी व एसपी जैसे पदों पर एक हजार से भी कम महिलाएं कार्यरत हैं। वहीं देश भर की जेलों में केवल 25 मनोविज्ञानी/मनोचिकित्सक उपलब्ध हैं। टाटा ट्रस्ट द्वारा शुरू की गई और कई सामाजिक संगठनों एवं डाटा भागीदारों द्वारा समर्थित इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर)-2025 में इसकी जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में चार क्षेत्रों-पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता में राज्यों के प्रदर्शन को परखा गया।

इस मामले में कर्नाटक सबसे आगे (Women in Indian Police)

रिपोर्ट के अनुसार, कानून लागू कराने में लैंगिक विविधता की आवश्यकता के बारे में बढ़ती जागरूकता के बावजूद एक भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पुलिस बल में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है। इस रिपोर्ट में न्याय प्रदान करने के मामले में 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में कर्नाटक को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य बताया गया है। इस राज्य ने 2022 तक अपना स्थान बरकरार रखा।

960 महिलाएं आईपीएस रैंक में (Women in Indian Police)

कर्नाटक के बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु का स्थान रहा। पांच दक्षिणी राज्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर विविधता, बुनियादी ढांचे और स्टाफिंग के कारण दूसरे राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में पुलिस पदानुक्रम में लैंगिक असमानताओं को भी रेखांकित किया गया है। पुलिस में 2.4 लाख महिलाओं में से केवल 960 भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) रैंक में हैं, जबकि 24,322 गैर-आईपीएस अधिकारी जैसे उप अधीक्षक, निरीक्षक या उप-निरीक्षक पदों पर हैं।

IPS अधिकारी देश में कितनी है? (Women in Indian Police)

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की संख्या 5,047 है। कांस्टेबल पद पर 2.17 लाख महिलाएं सेवा देती हैं। सबसे अधिक संख्या में महिला उपाधीक्षकों के मामले में मध्य प्रदेश शीर्ष पर है। यहां 133 महिला पुलिस उपाधीक्षक हैं। कानूनी सहायता पर प्रति व्यक्ति व्यय भी 2019 और 2023 के बीच लगभग दोगुना हो गया। इसी अवधि में जिला न्यायपालिका में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़कर 38 प्रतिशत हो गई।

एसटी और एससी की हिस्सेदारी (Women in Indian Police)

बहरहाल, जिला न्यायपालिका में एसटी और एससी की हिस्सेदारी क्रमश: पांच प्रतिशत और 14 प्रतिशत पर कम बनी हुई है। पुलिस बल में एससी का हिस्सा 17 प्रतिशत और एसटी का 12 प्रतिशत है जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व से कम है। कानूनी सहायता तक पहुंच के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी माने जाने वाले पैरालीगल वालंटियर्स (पीएलवी) में पिछले पांच वर्षों में 38 प्रतिशत की गिरावट आई है। अब प्रति लाख जनसंख्या पर केवल तीन पीएलवी उपलब्ध हैं।

देशभर जेलों में 25 मनोविज्ञानी (Women in Indian Police)

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर की जेलों में केवल 25 मनोविज्ञानी/मनोचिकित्सक उपलब्ध हैं। आईजेआर न्याय प्रणाली में गंभीर बुनियादी ढांचे और स्टाफ की कमियों को भी उजागर करता है। भारत में प्रति दस लाख लोगों पर सिर्फ 15 जज हैं, जो विधि आयोग की वर्ष 1987 की 50 जजों की सिफारिश से काफी कम है। लगभग 78 प्रतिशत पुलिस स्टेशनों में अब महिला सहायता डेस्क हैं। 86 प्रतिशत जेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं से लैस हैं।

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