Khabarwala 24 News New Delhi : Worship Method त्रयोदशी तिथि प्रेम के देवता कामदेव की तिथि भी मानी जाती है। इस दिन शिव पार्वती की शाम को निष्ठापूर्वक पूजा करें, आपके जीवन में प्यार की कमी पूरी हो जाएगी। 23 जनवरी शिव भक्तों के लिए अहम है।
खास बात यह है कि इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत में दिनभर उपवास रखकर शाम को शिव परिवार यानि शिवजी, माता पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेयजी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखकर विधिविधान से शिव परिवार की पूजा करने पर भगवान शिव की कृपा जरूर प्राप्त होती है।
धतूरा और भांग चढ़ाएं (Worship Method)
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि प्रदोष व्रत करनेवालों को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है। इस दिन प्रदोष काल यानि शाम के समय शिव पूजन करना चाहिए, प्रदोष व्रत में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर सफेद फूलों की माला अर्पित करना चाहिए। शिव अभिषेक करें और संभव हो तो धतूरा और भांग चढ़ाएं। शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी करें। प्रदोष व्रत से सभी सुख प्राप्त होते हैं। उनके सभी दुख या कष्ट खत्म हो जाते हैं।
सूर्य को जल अर्पित करें (Worship Method)
इस दिन सुबह उठकर सूर्य को जल अर्पित करें और शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत व पूजा का संकल्प लें। शाम को धूप दीप आदि से भगवान शिव की आरती करें। शिवजी का ध्यान करते सरल शिव मंत्र. ॐ नमः शिवाय का अधिक से अधिक जाप करें। भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। पूजा संपन्न होने पर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
पवित्र राख के साथ प्रसाद (Worship Method)
इस दिन कलश में जल भरकर आम के पत्तों के साथ स्थापित कर भगवान् शिव के रूप में इसकी पूजा की जाती है। जिस कलश में जल भरकर रखते हैं उसे दूर्वा से ढँक कर कमल बनाया जाता है। इसके पश्चात् पूजा विधि में उपयोग हुए जल को पवित्र राख के साथ प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इस राख को माथे पर लगाया जाता है। मंगलवार के दिन होने से इसे भौम प्रदोष भी कहा जाता है।
शिव व मंगल देव की पूजा (Worship Method)
भौम प्रदोष का सीधा संबंध नवग्रहों के सेनापति मंगल से होता है। भौम प्रदोष व्रत रखने से मंगल ग्रह संबंधी सभी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही शिवपूजा के कारण चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं और अच्छा फल देने लगते हैं। कुंडली में मंगल और चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो तो भौम प्रदोष व्रत रखकर शिव व मंगल देव की पूजा जरूर करनी चाहिए।
ओम नमः शिवाय का जाप (Worship Method)
त्रयोदशी तिथि को तेरस भी कहा जाता है जिसके शिव के साथ कामदेव भी कारक माने जाते हैं। जीवन में प्यार की कमी हो, शादी न हो रही हो तो इस दिन शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित कर ओम नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें। शिवजी से जिंदगी में प्रेम के लिए प्रार्थना करें। उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में प्यार भर जाएगा।