Khabarwala24 news Hapur: चैत्र मास के पांचवें नवरात्र रविवार को भक्तों ने मंदिरों और घरों में माता स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई थी। व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस और मंदिर समिति के पदाधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। घरों में महिलाओं ने संकीर्तन आदि कर माता का गुणगान किया। देर रात तक मंदिरों में श्रद्धालुओं का आवागमन होता रहा।
स्कंदमाता का स्वरूप नारी शक्ति और मातृ शक्ति का सजीव चरित्र है
ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि स्कंदमाता का स्वरूप नारी शक्ति और मातृ शक्ति का सजीव चरित्र है। स्कंदकुमार की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। भगवान गणेश देवी के मानस पुत्र है और कार्तिकेय गर्भ से उत्पन्न। तारकासुर को वरदान मिला था कि वह भगवान शिव के शुक्र से उत्पन्न पुत्र के माध्यम से ही मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। इसलिए माता पार्वती का भगवान शिव से मंगल परिणय हुआ था। इससे कार्तिकेय पैदा हुए और तारकासुर का वध हुआ।
मंदिरों में रही श्रद्धालुओं की भीड़
स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने के लिए सुबह से ही शहर के प्रमुख चंडी मंदिर, मंशा देवी मंदिर, पथवारी मंदिर, नवदुर्गा मंदिर, दोयमी मंदिर, चितौली मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई। श्रद्धालुओं ने पान, लौंग, जायफल, नारियल, चुनरी आदि से मां की पूजा अर्चना कर सुख-शांति की कामना की।