Khabarwala 24 News New Delhi : Zakir Hussain Passes Away दुनियाभर में शास्त्रीय संगीत में भारत को अलग पहचान दिलाने वाले विश्व विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। उनकी उम्र 73 वर्ष की थी।
उन्होंने सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और बाद में हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में ले जाया गया था। परिवार अनुसार, हुसैन की मृत्यु इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। उनके पिता अल्लाह रक्खा भी तबला वादक थे।
मनोरंजन जगत में भी मातम छाया (Zakir Hussain Passes Away)
जाकिर हुसैन की मौत के बाद से मनोरंजन जगत में भी मातम छाया हुआ है। करीना कपूर, रणवीर सिंह, रितेश देशमुख और भूमि पेडनेकर समेत कई सेलिब्रिटीज ने दिवंगत तबला वादक को श्रद्धांजलि दी। वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख व्यक्त किया है और कहा है कि देश ने अपने सबसे प्रिय और पोषित सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक को खो दिया है। उनके असाधारण प्रदर्शन ने उन्हें शास्त्रीय शुद्धतावादियों और व्यापक दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया।
राज्यपाल और पवार ने जताया शोक (Zakir Hussain Passes Away)
शोक संदेश में, राज्यपाल ने संगीतकार को एक समर्पित शिष्य बताया, जिन्होंने तबले को वैश्विक प्रमुखता तक पहुंचाया। गवर्नर ने कहा, उन्होंने अपने गहन लेकिन चंचल और आकर्षक प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। राधाकृष्णन ने कहा, हुसैन शास्त्रीय संगीत में घरेलू नाम बन गए थे। वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हुसैन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, प्रसिद्ध तबला वादक पद्म भूषण उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर हृदय विदारक है। जाकिर हुसैन बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। पवार ने कहा, उन्होंने भारतीय संगीत के वाद्ययंत्र तबले को विश्व मंच पर स्थापित किया।
पहला एल्बम 1973 में रिलीज हुआ (Zakir Hussain Passes Away)
उस्ताद के पिता का नाम उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी और मां का नाम बीवी बेगम था। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई भी मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। वहीं, ग्रेजुएशन भी मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से हुआ था। जाकिर हुसैन ने अपने जीवन का पहला कॉन्सर्ट 11 साल की उम्र में किया था। वहीं उनका पहला एल्बम 1973 में रिलीज हुआ था। जिसका नाम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ था। जाकिर हुसैन को पहली बार परफॉर्म करने के लिए 5 रुपए मिले थे। इसके बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, मैंने जीवन में खूब पैसे कमाए, लेकिन जो 5 मिले थे वो सबसे ज्यादा कीमती थे।
करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार मिले (Zakir Hussain Passes Away)
हुसैन को पांच ग्रैमी पुरस्कार मिले हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में शामिल हैं। छह दशकों के अपने करियर में हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन अंग्रेजी गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक टीएच ‘विक्कू’ विनायकराम के साथ उनका 1973 का संगीत प्रोजेक्ट भारतीय शास्त्रीय संगीत और संगीत के तत्वों को एक साथ लाया। ये एक ऐसा जैज़ था जो अब तक अज्ञात था। जाकिर हुसैन तबला वादन के अलावा एक्टिंग भी कर चुके हैं। साल 1983 में आई ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट में काम किया था। इस फिल्म में शशि कपूर भी थे।
दुनिया भर में अलग पहचान बनाई (Zakir Hussain Passes Away)
भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक तबलावादक हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण मिला था। महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत और दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई। जाकिर हुसैन का जितना सम्मान भारत करता है। उतना ही सम्मान उन्हें अमेरिका भी करता था। साल 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए इनवाइट किया था। ये इनविटेशन पाने वाले वो पहले भारतीय म्यूजिशन थे।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फारब्रोसिस (Zakir Hussain Passes Away)
जाकिर हुसैन Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease से जूझ रहे थे। बताया जा रहा है कि Zakir Hussain ब्लड प्रेशर के मरीज थे। इससे उन्हें दिल से जुड़ी कई बीमारियां थीं। वो इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) नामक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। ये एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। ये बीमारी फेफड़ों में होती है जिससे सांस लेने की समस्या भी हो जाती है। बढ़ती उम्र के साथ-साथ यह बीमारी और भी गंभीर हो जाती है। खून में ठीक तरह से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है। इससे शरीर में और गंभीर समस्याएं होने लगती हैं।
70 से 75 उम्र के लोगों को बीमारी (Zakir Hussain Passes Away)
आमतौर पर यह बीमारी 70 से 75 उम्र के लोगों को अपनी चपेट में लेती है। कई मामलों में लंग ट्रांसप्लांट करवाना पड़ सकता है। अगर किसी को सांस लेने में दिक्कत हो रही है या तीन हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी आ रही है तो तुंरत डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है। NIH के मुताबिक, अगर आप स्मोक करते हैं या आपके परिवार में IPF का इतिहास रहा है तो आप में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। NIH के मुताबिक, सांस लेने में तकलीफ होना, ड्राई कफ, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, हद से ज्यादा थकान, वजन कम होना इसके आम लक्षणों में शामिल है।